आर्य और काली छड़ी का रहस्य-18
अध्याय-6
अनजान शख्स
भाग-2
★★★
आर्य और आयुध आश्रम की दीवार पर आकर टहलने लगे थे। वह सामने वाली दीवार पर थे, जबकि कल आर्य हिना के साथ आश्रम की पिछली दीवार पर गया था। यहां दोनों ही चहल कदमी करते हुए सामने के बर्फीले मैदानों को देख रहे थे। दूर-दूर तक शिवाय सफेद बर्फीले मैदानों की और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
आयुध ने आर्य से अबकी बार सवाल किया “तुम यहां आने से पहले कहां रहते थे? और आते वक्त तुम्हारे साथ हुआ क्या?”
आर्य ने कल इस बात का जवाब हिना को भी दिया था। उसने आयुध को भी वही जवाब देते हुए कहा “मुझे इस बारे में तो नहीं पता मैं कहां रहता था। मगर वह जो भी जगह थी जंगल के अंदर बनी हुई थी। जंगल के अंदर हमारा घर था जहां हम रहते थे, मैं और मेरे बाबा। मुझे जहां तक याद है वहां तक मुझे यही पता है कि मेरा लालन पोषण मेरे बाबा ने ही किया है। मेरे मां बाप कौन थे और वह क्या करते थे मुझे इस बारे में नहीं पता। अगर मैं इस आश्रम का हिस्सा हूं तो शायद अंदाजे के तौर पर कहा जा सकता कि वह भी इस आश्रम का हिस्सा थे।”
“और तुम्हारे यहां आने की कहानी?”
“हम पर कुछ अंधेरी परछाइयों ने हमला कर दिया था। वह बिना चेहरे वाली अंधेरी परछाइयां थीं, जिनके चेहरे वाली जगह पर धुआं तैर रहा था। मुझे उनके हमले वाला दिन हमेशा याद रहेगा। उनके आने से पहले पूरा आसमान काला पड़ गया था। मैं उस वक्त पानी में नहा रहा था तो वह पानी भी काला हो गया था। इसके बाद उनका मेरे बाबा से सामना हुआ, मेरे बाबा ने मेरी जान बचाने के लिए मुझे यहां आश्रम भेज दिया, जबकि वह खुद उनके हाथों मारे गए।”
“सुनकर काफी अफसोस हुआ...” आयुध ने मायूसी जताई “अपनों को खोने का दर्द बहुत बड़ा होता है। और मैं इसे समझ सकता हूं। मेरी बहन भी इसे समझती है। जिस तरह से तुमने अपने बाबा को खोया उसी तरह से हमने अपने मां-बाप को खोया था। हम दिल्ली के रहने वाले थे। एक मिडिल क्लास फैमिली में। वहां हमारे दिन अच्छे और खुशहाल थे। एक रात हम लोग खाना खा रहे थे। तभी हमारे घर की दीवारें कांपने लगीं। दीवारों के कांपने के बाद शीशे के टूटने का सिलसिला जारी हुआ। इसके बाद कुछ अंधेरी परछाइयां आई और हमें चारों तरफ से घेर लिया। उनके भी चेहरे नहीं थे। मेरे पापा पिता ने हम दोनों को बचाने के लिए अंगूठी के जरिए आश्रम भेज दिया। जबकि खुद उनसे लड़ते हुए मारे गए। हम लोगों ने उनके मरने की खबर दिल्ली के न्यूज़पेपर में पड़ी थी। उसमें यह लिखा गया था कि घर गिरने की वजह से मेरे माता पिता की मौत हो गई, जबकि हकीकत हमारे और इस आश्रम अलावा और कोई नहीं जानता था।”
आर्य सोचता हुआ बोला “वह शायद इसलिए क्योंकि उनका वास्ता हमारी असली दुनिया से नहीं है। हमारी असली दुनिया को यही लगता है कि इस तरह की चीजें होती ही नहीं।”
“हां।” आयुध ने भी उसका साथ दिया “असली दुनिया इससे पूरी तरह से बेखबर है। उन्हें तो यह तक नहीं पता कि शैतानों के शहंशाह नाम का एक ताकतवर शख्स उनकी दुनिया पर कब्जा करने की कोशिश में है। उनकी पूरी सेना शैतान के शहंशाह को यहां दुनिया में लाकर उन पर कब्जा कर लेंगे। कभी-कभी मुझे इंसानों की चिंता होती है, ना जाने तब क्या होगा जब शैतान आ जाएगा।”
“तुम्हें लगता है वह आएगा...” आर्य तुरंत उसकी तरफ पलटता हुआ बोला “मतलब आश्रम वाले जी जान से शैतान को आने से रोकने के लिए लगे हुए हैं। वह दो छड़ीया जिनका बार-बार जिक्र होता वह आश्रम की सुरक्षा में है। जब तक आश्रम उन दोनों छडी़यों की सुरक्षा कर रहा है तब तक शैतान अपने मकसद में कामयाब नहीं होने वाला।”
आयुध हंसने लगा “तुम शैतान को कम समझने की भूल मत करो। ना ही उनकी सेना को। तुम्हें पता है ना वह लोग भी जी जान से उन छडी़यों को हासिल करने की कोशिश में लगे हुए हैं। उनकी संख्या भी काफी ज्यादा है। आज नहीं सही तो कल उन्हें सफलता मिल ही जाएगी। और जब उन्हें सफलता मिल जाएगी तो शैतान को आने से कोई नहीं रोक सकता। फिर बस तबाही ही तबाही होगी। शैतान इस दुनिया पर कब्जा कर लेगा।”
“और भविष्यवाणी वाला लड़का... तुम्हें क्या लगता है वह दुनिया को नहीं बचाएगा?”
“ऐसा तो तब होगा ना जब भविष्यवाणी वाले लड़के का पता चलेगा... अभी तो कोई जानता भी नहीं वह है कहां?”
आर्य मुस्कुरा कर अपने बाबा की एक बात को याद करने लगा। बाबा ने वो बात कहानी में कही थी। ऐसी कहानी जो असल में हकीकत थी। हालांकि उन्होंने भी कभी भविष्यवाणी वाले लड़के का जिक्र नहीं किया। मगर उनकी बातें उसके इर्द-गिर्द ही घूमती थी। वह कहा करते थे “भविष्यवाणी में जिस लड़के का जिक्र किया गया है वह सबके लिए उम्मीद बनेगा। जब ऐसा समय आएगा कि लोग अपनी हिम्मत हारने लगेंगे। तब वह लड़का उम्मीद के तौर पर सामने आएगा। वह सब की उम्मीद बनेगा।” इसके बाद उसके बाबा उसकी तरफ उंगली करके कहते थे “तुम उम्मीद हो।” मगर वह इन बातों का कभी मतलब नहीं समझ पाया था। आज भी इन बातों का मतलब उसके दिमाग की समझ से बाहर था। जो चीजें उसे अपने बाबा की बातों से समझ आई थी वह बस यही थी कि अंधेरे और शैतान जैसी कोई चीज होती है। उनसे लड़ने वाला समुदाय का भी अस्तित्व है। वह वह खुद भी उस समुदाय का अब हिस्सा था।
“आर्य...!!” आयुध ने आर्य को झकझोरा। वह अपने बाबा की बात को याद करते वक्त खो गया था। मगर आयुध उसे सिर्फ झकझोर नहीं रहा था बल्कि कुछ और भी कह रहा था। वह उसे किसी दिशा की तरफ देखने के लिए कह रहा था। आर्य ने उस तरफ देखा। आयुध बोला “क्या तुम भी वही देख रहे हो जो मैं देख रहा हूं...”
“हां...” आर्य ने हां में सर हिला दिया। वह दोनों ही खंडहर जैसे दिखने वाले किले को देख रहे थे। वहां कोई किले के लोहे वाले दरवाजे के सामने खड़ा था। किसी अजीब सी डंडे वाली छड़ के साथ। आयुध ने आर्य को उसी तरफ देखने के लिए कहा था।
आयुध बोला “कोई इस वक्त किले के सामने खड़ा है, मगर समझ में नहीं आ रहा क्यों। यहां किले के आसपास भटकना मना है। खासकर रात को। आज दोपहर को मैंने खबर सुनी थी कि तुम्हारे साथ कोई हादसा हुआ था, उसके बाद आचार्य वर्धन ने सभी को किले के आसपास भटकने से मना कर दिया था।”
आर्य दीवार के पास आकर उस पर हाथ रखते हुए बोला “अगर आचार्य वर्धन ने सबको किले के आसपास भटकने से मना कर दिया था, तो यह कौन है जो अब किले के सामने खड़ा है?” आर्य ने दूर से सामने खड़े शख्स के कपड़ों पर गौर किया। उसने सफ़ेद रंग का चोगा पहन रखा था। सर ढका हुआ था और उसकी पीठ उन दोनों की और थी।
आयुध बोला “तुम सफेद चौगे को देख रहे हो...?”
आर्य उसे अभी अभी देख कर हटा था “हां मैं देख रहा हूं। यहां आश्रम में काफी कम लोग हैं जो सफेद चौगा पहनते हैं।”
“काफी कम नहीं बल्कि सिर्फ सात ही लोग।” आयुध ने उसकी बात को काटते हुए कहा “यहां आश्रम में सिर्फ 7 लोग ही सफेद चौगा पहनते हैं। जिनमें सिर्फ और सिर्फ आश्रम की आचार्य शामिल है। 11 अचार्य में से तीन महिला आचार्य है, जो गुलाबी रंग का चोगा पहनती है। जबकि आचार्य वर्धन सुनहरे रंग का चौगा पहनते हैं। इसके बाद बाकी के सात आचार्य सफेद रंग के चौगे को पहनते हैं।”
“तो तुम्हारे कहने का मतलब इस वक्त किले के बाहर सफेद चौगा पहनने वाले सात अचार्य में से कोई एक खड़ा है...?”
आयुध भी अब आर्य की तरह दीवार पर हाथ रख कर खड़ा था। उसने आर्य की तरफ देखते हुए कहा “हां उनमें से ही कोई एक होगे। शायद सुबह किले वाले हादसे के बाद निगरानी करने के लिए आए होंगे। यह देखने के लिए कि कोई यहां आस-पास तो नहीं घूम रहा। सुरक्षा के नजरिए से ऐसा होता रहता है।”
आर्य का ध्यान सिर्फ सामने की ओर था। “क्या इसमें अचार्य किले के अंदर जाकर भी देखते हैं?”
“बिल्कुल भी नहीं!” आयुध ने तुरंत सर झटक कर ना में हिला दिया। उसने अभी तक सामने की तरफ नहीं देखा था। “किले के अंदर जाना किसी भी आचार्य के लिए नामुमकिन है। वहां के खतरनाक जादू का तोड़ कोई नहीं जानता।”
“मगर मुझे सामने दिखाई दे रहा है कि जो आचार्य किले के बाहर खड़े थे वह अब उसके अंदर जा रहे हैं।”
यह सुनते ही आयुध ने किले की तरफ देखा। किले के सामने दिखाई देने वाले आचार्य अब किले के अंदर जाते हुए दरवाजे के पास चले गए थे। वहां उन्होंने अपने हाथ में पकड़ी अजीब सी डडें वाली छड़ को ऊपर किया जिसके तुरंत बाद किले के दरवाजे खुल गए। यह देखकर आयुध सिर्फ चौंका ही नहीं बल्कि वह पूरी तरह से स्तब्ध भी रह गया। उसने हैरानी वाली अंदाज में कहा “असंभव...!! यह पूरी तरह से असंभव है!!”
आयुध तुरंत दीवार से नीचे उतरने वाली सीढ़ियों की तरफ बढ़ चला। आर्य भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। आर्य ने उसके पीछे चलते हुए पूछा “अब तुम कहां जा रहे हो?”
आयुध ने जवाब दिया “किले के अंदर। आश्रम का कोई भी अचार्य किले के अंदर नहीं जा सकता।और मुझे किले के अंदर जाकर देखना है कि यह कौन सा आचार्य है जो अभी अंदर गया है।”
आर्य आगे बढ़ा और उसने आयुध को पकड़ कर रोक लिया। “तुम कहीं पागल तो नहीं हो गए हो... सुबह हम लोग सिर्फ उसके दरवाजे तक गए थे। वहां किला हमारी जान लेने पर उतारू हो गया था। किले के जादुई मंत्र किसी को नहीं बख्शते..”
“मगर अभी तुम्हारे सामने ही तो आचार्य अंदर गए हैं। जब वह अंदर जा सकते हैं तो हम क्यों नहीं?”
“वह अचार्य हैं। और तुम और मै हम आचार्यों से अपना मुकाबला नहीं कर सकते। फिर तुमने देखा क्या, उनके पास कोई अजीब सी चीज भी थी। उस अजीब सी चीज को ऊपर करने के बाद ही दरवाजे खुले। हमारे पास ऐसी कोई भी चीज नहीं है... हम जाएंगे तो खतरे में ही पड़ेंगे।”
आयुध ने खुद को रोक लिया। खुद को रोक लेने के बाद उसने सवालिया अंदाज में आर्य से पूछा “तो फिर तुम्हारे हिसाब से अभी हमें क्या करना चाहिए?”
आर्य सोचने लगा। कुछ देर तक सोचने के बाद उसने कहा “मेरे ख्याल से इस मौके पर तो तुम्हारी बहन ही हमारे काम आ सकती है। उसे जादु भी आता है, और हम इस बात को भी नकार नहीं सकते कि उसमें हमसें ज्यादा काबिलियत है।”
“तुम मेरी बहन से मदद लेने के बारे में सोच रहे हो?”
“हां बिल्कुल। इस मौके पर सिर्फ वहीं हमारे काम आ सकती है। वही हमें बताएगी कि हमें क्या करना चाहिए।”
आयुध भी सोचने लगा। “मेरे ख्याल से तुम सही हो। ऐसे मौकों पर मेरी बहन काफी फायदेमंद साबित होती है। हमें हिना से ही बात करनी चाहिए। चलो जल्दी जाकर हिना से बात करें।”
दोनों में सहमति हुई और दोनों ही हिना के कमरे की तरफ चल पड़े। वहीं जिस किले के दरवाजे अब तक खुले हुए थे, वह पूरी तरह से बंद हो गए। किले का दरवाजा बंद हो जाने के बाद सब कुछ वैसा ही हो गया जैसे पहले था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कोई किले के अंदर गया है। सब बिल्कुल शांत और सुनसान पड़ा था। एक अजीब सी चुप्पी के साथ।
★★★
Rohan Nanda
20-Dec-2021 10:55 PM
Good story, good writing skil
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